Tuesday, November 3, 2009

इन्सान की खोज कब पुरी होगी

प्रिय साथियों ,
एक बार पुनः आपके पास हाजिर है /अपने विचारो को लेकर अपने लोगो के पास आपके पास एक ऐसे
द्वंधको लेकर जिसका जवाब हमारे पास नही था / हमें पता है की विचारो के इस केन्द्र विन्दु में हमने जो
पॉइंट रखे है वो काफी हद तक अंधेरे में है हम ख़ुद नही समझ पा रहे है की ऐसा क्यो हो रहा है

जब कोई अपना यू पराया होता है तो ऐसा लगता है की जीने की तमन्ना को खत्म कर दो मै समझ
नही पाता की आख़िर इन्शान इतना क्यो बदल जाता है की वो अपनों को भुला बैठता है / आख़िर क्यो ? रिश्तो की डोर आज के समय में बिखरने लगी है / आज हम एक दुसरे के पूरक न होकर
एक दुसरे से इर्ष्या ,भाव रखने लगे है आख़िर क्यो ? आज क्यो देश धर्मं , जाती के नाम पर बट
जाता है क्यो इन्सान जाती के नाम पर मर मिटता है /इतनी हैवानियत तो हम इंसानों में तब
भी ना थी जब हम वास्तव में आदिम युग में थे / हमारा प्रयास कब होगा मानव उथान के प्रति कब
हम जागरूक होंगे मानव के विकास के प्रति हमें जवाब चाहिए आज के मिडिया से ,आज के नव युवक से ,आज की राज निति से /

भारतीय एकता संगठन परिवार की तरफ़ से

राहुल मिश्रा की कलम से

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